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Sunday 25 July 2021

शिव जलाभिषेक करने पर हर दुख से मिलता है छुटकारा (One gets rid of all sorrows by worshiping Jalabhishek Shiva)

पूरा महादेव बागपत में जलाभिषेक 


आज सावन का पहला सोमवार है। हर कष्ट से छुटकारा पाने का मौका है। हर दुखों के निवारण का अवसर है। आज जो सच्चे मन (in the truth way) से शिव का जलाभिषेक (Jalabhishek) करते हैं। उन्हें हर समस्या का निदान (solution) मिल जाता है। हम सब जानते हैं कि सनातन धर्म के अनुसार महादेव की कृपा (courtesy) यदि हमें प्राप्त हो जाए तो हम चिंतामुक्त (tension Free) हो जाएंगे। देवों के देव महादेव (Mahadev) के स्मरण मात्र से हमारा मन पवित्र हो जाता है। हम महादेव का सानिध्य प्राप्त कर लेते हैं। पुराणों में उल्लेख है कि शिव सृष्टि को चलाने के लिए  विविध कर्म बनाए हैं। उनमें आस्था, समर्पण, भक्ति और अराधना वे रास्ते हैं, जिनपर चलकर हम सत्कर्म की ओर प्रेरित होते हैं। सत्कर्म से मनुष्यों में अच्छे विचार उत्पन्न होते हैं। धीरे-धीरे लोगों के व्यवहार में भी परिवर्तन शुरू हो जाता है। मनुष्यों में देवांश परिमार्जित हो जाता है। वे कष्टों से मुक्त होने लगते हैं। भगवान शिव भोले हो जाते हैं। वे अपने भक्तों को कष्टों से छुटकारा दिलाते हैं। अब बड़ा प्रश्न यह उठता है कि देवों के देव महादेव को प्रसन्न कैसे करें। उनका आशीर्वाद कैसे प्राप्त हो।

ऐसे प्राप्त कर सकते हैं भगवान शिव का सानिध्य

देवों के देव महादेव का आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे सरल उपाय है उनके प्रति समर्पण का भाव पैदा करना। जब हमारे मन और व्यवहार में त्वदीयं गोविंदम तुभ्यमेव समर्पयेत घर कर जाता है। हम अपने और पराये में  भेद करना छोड़ देते हैं तो निश्चित रूप से भगवान शिव की कृपा बरसती है। हमें शिवलिंग पर जलाभिषेक करते वक्त कुछ नियमों का जरूर पालन करना चाहिए।


सोमवार (monday) को जलाभिषेक से ज्यादा प्रसन्न होते हैं महादेव

यदि आप रोजगार की तलाश कर रहे हैं। आपको नौकरी नहीं मिल रही है। आपको व्यापार में हानि हो रही है तो निश्चित रूप से सावन माह में हर सोमवार को दूध मिश्रित गंगाजल से नियमपूर्वक जलाभिषेक करना चाहिए। सामान्य गृहस्थ को भी भगवान शिव के लिए समय पर जलाभिषेक करना चाहिए। उनके जीवन से आर्थिक तंगी खत्म हो जाएगी।  यदि मन प्रस्न्न रहेगा तो सेहत भी ठीक रहता है। मन से सेहत का सीधा कनेक्शन है। लोग करते हैं जैसा होगा मन, वैसा मिलेगा प्रतिफल।

सवाल उठता है कैसे करें जलाभिषेक

जलाभिषेक का सीधा अर्थ है शिवलिंग पर शुद्ध मन से जल अर्पित करना। शिव भाव के भूखे हैं। उनके प्रति श्रद्धालु की भावना ही महत्वपूर्ण है। जिस श्रद्धा और शुद्धता के साथ भक्त भगवान को याद करेंगे उसी रूप में  प्रतिफल भफी मिलता है। इसके बावजूद हमें खास नियमों का पालन करें तो भगवान का आशीष जल्द मिलता है। हम उसकी चर्चा यहां करेंगे। भगवान भोलेनाथ पर हम साल भर में  कभी भी जलाभिषेक कर सकते हैं। पर सावन शिवशंकर औघड़दानी का पसंदीदा महीना है। इस कारण सावन और उसमें  सोमवार को जलाभिषेक किया जाए तो अनिवार्य रूप से हमें लाभ मिलता है। एक बात का हमेशा ख्याल रखें कि जहां आप जलाभिषेक कर रहे हैं वहां नंदी का गवाह जरूरी है। जलाभिषेक तभी पूर्ण माना जाता है जब नंदी उसे देख रहे हों।

 कांवड़ यात्रा : रोक के बा5द भी इस सावन में कैसे करें जलाभिषेक

जलाभिषेक के दौरान शिव को ये अर्पित करें

भगवान भोलेनाथ के बारे में  चर्चित है कि उन्हें आडंबर नहीं चाहिए। शुद्ध जल और शुद्ध विचार के साथ कोई भी उनका जलाभिषेक कर सकता है। फिरभी जलाभिषेक से पूर्व हमें कुछ ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले हम जल को शुद्ध करते हैं चाहे वह सामान्य जल हो या गंगाजल। जलाभिषेक के लिए जल संकल्पित होना चाहिए।  जल का संकल्प आप स्वयं कर सकते हैं या पुरोहित से करा सकते हैं। जल के साथ-साथ पूजन सामग्री को भी शुद्ध करें। सबसे पहले हाथ में कुश और जल लेकर मंत्रोचार करना चाहिए। मंत्र इस प्रकार है- यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यंतरः शुचिः।

इसके बाद अक्षत, पान, फूल,  सुपारी के ऊपर पानी के छींटे डालें। साथ यह भी ध्यान रखना चाहिए कि भगवान शिव को बेलपत्र और धतुरे के फूल ज्यादा पसंद है। जलाभिषेक से पूर्व इन चीजों को भगवान शिव पर अर्पित करें।

 

किन मंत्रों के साथ हम भगवान शिव का करें ध्यान

भगवान शिव की अराधना के लिए सबसे प्रबल और असरदार मंत्र - ऊं नमः शिवाय है। हम कहीं भी हों किसी रूप में हों। हम विपत्तियों से घिर गए हो तों इस मंत्र से भगवान शिव का ध्यान करना करना चाहिए। भगवान शिव हमें तत्काल इन विपत्तियों से बाहर करते हैं।

 एक और महामंत्र है जो तुरंत लाभ पहुंचाता है। वह है महामृत्युंजय (Mahamrityunjay) जाप। 108 बार महामृत्युंजय जाप करने से फौरन लाभ मिलता है। यह सर्वसिद्ध मंत्र है।

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।

 

यह मंत्र भी बहुत ही फलदायी है -

नागेंद्रहाराय त्रिलोचनायभस्मांग रागाय महेश्वराय।नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नमः शिवाय।

मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रथमनाथ महेश्वराय। मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय  तस्मे म काराय नमः शिवाय।

शिवाय गौरी  वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वकनाशकाय। श्रीनीलकंछाय वृषभद्धजाय तस्मै शि कराय नमः शिवाय।

अवन्तिकायां विहितावतारंमक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम। अकालमृत्योः परिरक्षणार्थ वंदे महाकालमहासुरेशम।

 

उक्त मंत्रों के अलावा भगवान शिव का ध्यान इन मंत्रों से भी करें।

 ॐ ममलेश्वाराय नमः

ॐ नागेश्वराय नमः

ॐ भुतेश्वराय नमः 

ॐ अन्गारेश्वराय नमः 

ॐ समेश्वरायनमः

 ॐ भामेश्वराय नमः



Friday 23 July 2021

कांवड़ यात्रा : रोक के बाद भी इस सावन में कैसे करें जलाभिषेक (Kanwar Yatra: How to do Jalabhishek in this Sawan even after the ban)

                                                                                                                           सौजन्य- इंस्टाग्राम


भगवान रूद्र का सृष्टि पर शासन शुरू हो गया है। भगवान विष्णु की योग निद्रा के बाद शुक्रवार से भगवान शिव भी शयन में चले गए। सृष्टि का संचालन भगवान रुद्र के हाथों में है। भगवान शिव का दूसरा स्वरूप भगवान रुद्र हैं, जो अपने नियमों के प्रति सख्त हैं। माना जाए तो वर्तमान में राष्ट्रपति शासन की तरह सृष्टि का भी संचालन होगा। इस समय धर्म-कर्म और नियम के प्रति कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। भगवान रुद्र की नजर हर कर्म पर होगा। तदनुसार लोग प्रतिफल प्राप्त करेंगे।

 सत्कर्म के प्रति सतर्क

भगवान रुद्र किसी को भी गलती पर माफी नहीं देते। उन्हें अधोकर्म की सजा भुगतनी पड़ती है। हालांकि प्रसन्न रहे तो श्रद्धालुओं पर खूब कृपा बरसाते हैं। इस कारण लोग सावन माह में सात्विक रह कर धर्म-कर्म-दान और अध्यात्म के प्रति सजग रहते हैं। खासकर सावन में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है। लेकिन, पिछले साल की तरह इस साल भी कोरोना के प्रकोप के कारण श्रद्धालु कांवड़ यात्रा से वंचित रह जाएंगे। हालांकि उन्हें जलाभिषेक का मौका मिल सकता है।

बोलबम और बम-बम भोले की स्वर लहरियां नहीं उठेगी

कोरोना की दूसरी लहर में मौत ने देश-दुनिया, समाज और व्यवस्था को कुछ इसतरह झकझोर कर रख दिया कि भारत के सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा। कांवड़ यात्रा के लिए यूपी सरकार की अनुमति पर रोक लगा दी। इसका प्रभाव बिहार और झारखंड़ की कांवड़ यात्रा पर पड़ा। वहां भी महीनेभर चलनेवाली कांवड़ यात्रा रोक दी गई। सावन में जब काली घटा उमड़ने-घुमड़ने लगती, आसमान से कभी रिमझिम तो कभी झमाझम बारिश होने लगती। मंद-मंद हवा चलने लगती है। लोगों को भीषण गर्मी के बाद जब शीतलता का अहसास होता है तो कांवडियों का मन भी खुशी से मोर की तरह नाचने लगता है। उसके कांवड़ या पैरों में बंधे घुंघरू से पूरा ब्रह्मांड झंकृत होने लगता है। होठ कांपने लगते हैं। पैर थिरकने लगते हैं। हर ओर बोलबम और बम-बम भोले की स्वर लहरियां उठने लगती है। इस साल भी हम ऐसी स्वर लहरियों से वंचित रह जाएंगे। यूं तो कांवड़ यात्रा पूरे देशभर में  होती है, पर दो जगहों की कांवड़ यात्रा को ज्यादा प्रसिद्धि मिली है।

सुल्तानगंज से बाबाधाम देवघर की कांवड़ यात्रा

बिहार के सुल्तानगंज से झारखंड के बाबा बैद्यनाथ धाम देवघर तक की कांवड़ यात्रा दुनिया का सबसे लंबा मेला है और यह मेला पूरा सावन महीना चलता है। सुल्तानगंज से देवघर की दूरी 105 किलोमीटर है। राह पथरीली होने के होने के कारण यबां की यात्रा दुरुह हो जाती है, मगर श्रद्धालुओं का अगाध स्नेह बाबा भोले शंकर की ओर खींचे चला जाता है। यह राह इतना दुरूह है कि बीच में एक पहाड़ी रास्ता मिलता है, जिसे सुईया पहाड़ कहते हैं। इसके नुकीले पत्थर सुई की तरह पांव में चुभते रहते हैं।

नंगे पांव 105 किमी की यात्रा

 सबसे बड़ी बात यह है कि यात्री 105 किलोमीटर की यात्रा नंगे पांव करते हैं। रास्ते भर में लोग एक-दूसरे को बम कह कर पुकारते हैं। जैसे बच्चा बम, माता बम, बहन बम, बुढ़ा बम, साथी बम। यहां दो तरह के कांवड़िये चलते हैं। एक वह जो बाबा को सिर्फ गंगाजल अर्पण करना चाहते हैं। दूसरा वह जो 24 घंटे में बाबा को जलाभिषेक करना चाहते हैं। ऐसे श्रद्धालु बिना कुछ खाए-पीए, बिना विश्राम, बिना शंका समाधान के बाबा मंदिर में पहुंचकर जलाभिषेक करते हैं। सावन में प्रतिदिन यहां एक लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचते हैं। सावन सोमवारी के दिन यह संख्या दोगुनी हो जाती है।  दूसरी बड़ी बात यह है कि श्रद्धालु बाबा बैद्यनाथ को सिविल भगवान समझते हैं। इस कारण जो भी यात्री यहां आते हैं वह बाबा बासुकीनाथ में जलाभिषेक करने जरूर जाते हैं। मान्यता है कि बाबा बासुकीनाथ अपने लोगों की फौजदारी समस्या का हल करते हैं।

हरिद्वार से कांवड़ यात्रा

                                                                                            सौजन्य - फेसबुक

सावन की प्रतिपदा से कांवड़ियों की यात्रा शुरू हो जाती है। वेस्ट यूपी के श्रद्धालु एक सप्ताह तक कांवड़ यात्रा में शामिल होते हैं। हालांकि हरिद्वार में  कांवड़ मेला 15 दिनों का होता है। हरिद्वार से वेस्ट यूपी के अलावा राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के  कांवड़िये गंगाजल उठाते हैं। इसके बाद सभी अपने घर की ओर पैदल रवाना होते हैं। सभी जगह के कांवड़िये अलग-अलग समूहों में चलते हैं। बम भोले की सामूहिक ध्वनि से कांवड़िये ऊर्जा प्राप्त करते हैं। यहां की सबसे बड़ी खाशियत उनका कांवड़ होता है, जो बड़े मनोहारी होते हैं। अद्भुत होते हैं। बड़े-बड़े कांवड़ होते हैं। कुछ कांवड़ मंदिर के आकार के होते हैं। उसके साथ सैकड़ों श्रद्धालु जुटे रहते हैं। ढोल-मंजीरों के साथ शिव भक्ति के गीतों पर कांवड़िये जब झूमते हैं तो आसपास के लोग अनायास उधर खींचे चले आते हैं। कांवड़ियों के लिए रास्ते भर में सेवा शिविर लगे रहते हैं। स्पीकर पर भक्ति गीतों की रसधार बहती रहती है। कांवड़िये उस रस गोते लगाते हुए नृत्य में मग्न हो जाते हैं।  कांवड़ सेवक उनपर फूलों के बारिश करते हैं और प्रकृति में  घनघोर घटा छा जाती है। बादल फुहार बरसाकर उन्हें शीतलता प्रदान करते हैं। अष्टमी  के जलाभिषेक का यहां अतिरिक्त महत्व है। वेस्ट यूपी के लोग मेरठ में बाबा औघड़नाथ या बागपत के पुरा महादेव मंदिर में  जलाभिषेक के लिए उमड़ पड़ते हैं।

कोरोना ने दो साल से छिन लिया मोहक मौका

कोरोना के कारण 2020 से ही कांवड़ यात्रा बंद है। इस बार ऐसा लग रहा था कि लोगों को अपने अराध्यदेव सृष्टि संचालक भगवान शिव के प्रति समर्पण का मौका मिलेगा। उत्तरप्रदेश सरकार ने इसकी अनुमति भी दे दी थी। दूसरी ओर उतराखंड और झारखंड़ की सरकार इस पर अभी विचार ही कर रही थी कि सुप्रीम कोर्ट ने सख्त आदेश देते हुए ऐसे किसी भी भीड़ पर रोक लगा दी। अंततः यूपी सरकार को भी अपने आदेश वापस लेने पड़े। 2021 में भी शिवभक्त कांवड़ यात्रा से वंचित रह गए।

कांवड़ यात्रा को रोकने के लिए पुख्ता सुरक्षा

                                                                                                          पूरामहादेव मंदिर बागपत











हरिद्वार जिले की सीमा से किसी श्रद्धालु को वापस कर दिया जाएगा। इसके लिए सीमा के अलावा हरकी पैड़ी पर भी भारी पुलिस बल को तैनात किया गया है। उतराखंड़ सरकार की ओर से स्पष्ट आदेश दिया गया है कि यदि कोई कांवड़िया हरिद्वार तक पहुंच जाता है तो उन्हें क्वारंटाइन कर लिया जाएगा और आपदा प्रबंधन नियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा।  इसके लिए 10 पीएसी कंपनी और 900 से अधिक पुलिसकर्मियों को लगाया गया है। इसी तरह झारखंड स्थित बाबा बैद्यनाथधाम देवघर में कांवड़िये को घुसते ही गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया गया है। स्पष्ट है बड़े मंदिरों में इस बार कांवड़िये गंगाजल से अभिषेक नहीं कर पाएंगे। मेरठ जोन के आईजी प्रवीण कुमार का कहना है कि थानास्तर तक इसकी निगरानी होगी ताकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कहीं उल्लंघन न हो। हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर में गंगा घाट और बागपत के पुरामहादेव मंदिर में बेरिकेडिंग कर दी गई है।

जलाभिषेक का मिल सकता है मौका

कांवड़ यात्रा स्थगित होने से शिवभक्तों में निराशा है,  लेकिन संभव है कि कुछ मंदिरों में जलाभिषेक का मौका मिले। अभी तक धार्मिक अनुष्ठान में अधिकतम 50 लोगों के शामिल होने की अनुमति है। इसके तहत कोविड नियमों का पालन करते हुए मेरठ में कई मंदिरों में प्रबंधन ने ही गंगाजल का प्रबंध करने की बात भी कही है। श्रावण मास में भगवान शिव का जलाभिषेक नियमों के दायरे में निरंतर होता रहेगा। इसी तरह दूसरे प्रांतों में  भी कुछ मंदिरों में व्यवस्था की गई है। बागपत स्थित ऐतिहासिक पुरा महादेव मंदिर में स्थानीय लोग और श्रद्धालुजन शिवरात्रि पर जलाभिषेक कर सकेंगे। मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने जानकारी दी कि कोविड प्रोटोकॉल के साथ जलाभिषेक करेंगे।

कांवड़ यात्रा की मान्यताएं

  • सबसे पहले भगवान परशुराम ने बागपत स्थित पुरा महादेव मंदिर में  गढ़मुक्तेश्वर से गंगाजल लाकर जलाभिषेक किया था।
  • दूसरी मान्यता यह है कि स्वयं भगवान श्रीराम ने बिहार के सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर झारखंड़ स्थित देवघर में पहली बार जलाभिषेक किया था।
  • तीसरी मान्यता है कि त्रेता युग में श्रवण कुमार ने कांवड़ में अपने माता-पिता को बैठाकर हरिद्वार ले गए थे। वहां से लौटते वक्त गंगाजल भी कांवड़ में रख लिया था। तभी से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई है।
  • चौथी मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान मिले विष को भगवान शिव ने ग्रहण कर लिया था। उससे उनका कंठ नीला पड़ गया था। देवी-देवताओं ने विष के प्रभाव को कम करने के लिए गंगाजल से स्नान कराया था।

गीतों में शिवभक्ति

भगवान शिव के प्रति अगाध आस्था और अनन्य प्रेम की प्रतीक कांवड़ यात्रा के दौरान शिव गीतों का श्रवण करते हैं। उन मधुर गीतों में भगवान शिव के प्रति समर्पण का अद्भुत सौंदर्य होता है। उनमें कुछ निम्नलिखित हैः-

1. बाबा बैद्यनाथ हम आयल छी भिखरिया... #MaithiliThakur #RishavThakur #AyachiThakur

2. मन मेरा मंदिर, शिव मेरी पूजा - http://www.youtube.com/tseriesbhakti

3. शिवशंकर को जिसने पूजा -  http://www.youtube.com/tseriesbhakti  

4- हे शंभु बाबा मेरे भोले नाथ -  Hariharan Shiv Bhajans

 

 - तरुण कुमार कंचन


Sunday 4 July 2021

महंगाई पर तनी काबू करिए सरकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर मोदी जी, शायद आप भूल गए होंगे कि 2014 में आप क्या कह कर सत्ता पर काबिज हुए थे। आपको याद नहीं हो तो मैं याद करा रहा हूं। आपने कहा था - बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार। हमसब भी दौड़े-दौड़े आपको वोट डाले। शायद मोदी जी कुछ नया करेंगे। महंगाई को नियंत्रित करेंगे। सबको सम्मान के साथ खाना मिलेगा। रहने के लिए घर मिलेगा। लोगों को रोजगार मिलेगा। हर आंगन में खुशहाली होगी। लेकिन, दुख है कि भारत में महंगाई दर करीब 13 फीसदी है। तनी इस पर काबू करिए ताकि भारत की सामान्य जनता गर्व से कह सके यह है मोदी सरकार।


महंगाई पर एक झलक
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, मासिक डब्ल्यूपीआई पर आधारित महंगाई की वार्षिक दर वर्तमान में 12.94 फीसदी हो गई है।
ईंधन पर महंगाई एक महीने में 17 फीसदी तक बढ़ी है।
खुदरा महंगाई की दर 6 फीसदी को पार कर गई। यह पिछले छह महीने में सबसे ज्यादा है।
डर लगनेवाली बात यह है कि खुदरा महंगाई पर काबू नहीं किया गया तो बैंक अपने ऋण पर ब्याज बढ़ा देगा। लोगों की कमर तो पहले ही महंगाई से टूट गई अब ब्याज बढ़ा तो जान पर आफत बन जाएगी।

सबसे ज्यादा आग ईंधन में लगी है  
पेट्रोल-डीजल और घरेलू गैस ने पूरी भारतीय अर्थव्यवस्था पर कुंडली मारकर बैठ गया है। इसकी कीमत लगातार बढ़ रही है। असर यह हो रहा है कि सबकुछ महंगा हो गया। प्रधानमंत्री जी, आपको निश्चित रूप से पता होगा कि अपने देश के कई शहरों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर का आंकड़ा पार कर चुका है। इस साल पिछले पांच महीने में घरेलू गैस के प्रति सिलेंडर में 140 रुपये तक का इजाफा हो चुका है। मोदी जी, इस पर काबू करने की मंशा प्रकट करें। आम जनता आपके लिए दुआ करेगी। दो माह में चार मई से पेट्रोल के दाम 34 बार और डीजल के 33 बार बढ़ाए गए हैं।

पेट्रोल 9 फीसदी और डीजल 10 फीसदी से ज्यादा महंगा
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण पिछले दो महीने में देश में पेट्रोल नौ प्रतिशत और डीजल 10 प्रतिशत से अधिक महंगा हुआ है।
भारत की सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल कॉपोर्रेशन के अनुसार, दिल्ली में जून में पेट्रोल का मूल्य 4.58 रुपये और डीजल की कीमत 4.03 रुपये बढ़ चुकी है। इससे पहले मई में भी पेट्रोल 3.83 रुपये और डीजल 4.42 रुपये महंगा हुआ था। इस प्रकार दो महीने में पेट्रोल 9.11 रुपये प्रति लीटर और डीजल 8.63 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ है।

100 रुपये में एक लीटर पेट्रोल

कई राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, ओडिशा, तमिलनाडु, केरल, बिहार, पंजाब और लद्दाख में पेट्रोल का खुदरा दाम 100 रुपये प्रति लीटर के पार हो गया है। गंगटोक में अब पेट्रोल 100.15 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया है। इसी तरह मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे जैसे महानगरों में पेट्रोल पहले ही 100 रुपये प्रति लीटर के पार हो चुका है।

 जले पर नमक का छींटा है ईंधन पर टैक्स
सरकार, हम ईंधन पर लगनेवाले टैक्स से मरे जा रहे हैं।  दिल्ली की बात करें तो अंतिम आंकड़ों के अनुसार, पेट्रोल का मूल्य 96.66 रुपये प्रति लीटर था। इसमें रिफाइनरी से निकलने वाले पेट्रोल की कीमत 37.29 रुपये थी। औसतन 36 पैसे की परिवहन लागत के साथ पेट्रोल पंप मालिकों को पेट्रोल 37.65 रुपये प्रति लीटर मिला। डीलर को प्रति लीटर 3.80 रुपये का कमीशन मिलता है। अब देखिए टैक्स का खेल - इस पर केंद्र सरकार का 37.65 रुपये का उत्पाद शुल्क और राज्य सरकार का 22.31 रुपये का वैट जुड़ने के बाद कीमत 96.66 रुपये प्रति लीटर हो गई। 41.45 रुपये का पेट्रोल जनता को 96.66 रुपये में  मिल रहा है।

पांच महीनों में घरेलू गैस सिलेंडर का दाम 140 रुपये बढ़ा
प्रधानमंत्री जी, कितना दुखदाई है यह। पांच साल से आमदनी में कोई इजाफा नहीं है। दूसरी ओर महंगाई गुणात्मक ढंग से बढ़ रही है। घरेलू गैस सिलेंडर एक जुलाई से 834 रुपये में मिल रही है। घरेलू गैस सिलेंडर की कीमतों में 1 जनवरी के बाद 140 रुपये की वृद्धि हई है। कॉमर्शियल सिलेंडर की कीमतों में 76 रुपये की वृद्धि के बाद दिल्ली में कीमत बढ़कर 1550 रुपये हो गई है। दुखी करनेवाली बात यह है कि सात महीनों में  प्रति सिलेंडर 240 रुपये की बढ़ोतरी हो गई है। देखिए यह आंकड़ा -
सात माह में 240 रुपये बढ़े
30 नवंबर, 2020    594
01 दिसंबर, 2020    644
01 जनवरी, 2021    694
4 फरवरी, 2021    719
15 फरवरी, 2021    769
01 मार्च, 2021    819
01 जुलाई, 2021    834  

अगाह : और बोझ सहने के लिए रहें तैयार
आम उपभोक्ताओं को जुलाई में महंगाई का और बोझ सहने के लिए तैयार रहना होगा। दरअसल, कई उपभोक्ता कंपनियों ने उत्पादन लागत में बढ़ोतरी के बाद अपनी वस्तुओं की कीमत जुलाई से बढ़ाने का फैसला किया है। अल्युमिनियम, रबर,   स्टील, कॉपर, प्लास्टिक, रेयर मैटेरियल और अन्य कच्ची सामाग्रियों की कीमत में वृद्धि हुई है। इस वजह से टीवी, फ्रिज और एसी महंगे होंगे।

अमूल दूध 2 रुपये महंगा
अमूल ने भी उत्पादन लागत बढ़ने का हवाला देते हुए दूध की कीमतों को दो रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिया है। अब दूसरे डेयरी कंपनियां भी अपने उत्पाद में वृद्धि करेंगी।

होंडा की कारें महंगी होंगी
जापान की वाहन कंपनी होंडा की योजना अगले महीने से भारत में अपने समूचे वाहनों की श्रृंखला के दाम बढ़ाने की है। कंपनी के एक अधिकारी ने कहा कि इस्पात और बहुमूल्य धातुओं जैसे आवश्यक जिंसों के दाम बढ़ने की वजह की उसे यह कदम उठाना पड़ रहा है। आप क्या समझते हैं, इसका असर और दूसरी कार कंपनियों पर नहीं पड़ेगी। एक ही बाजार है तो निश्चित रूप से वाहन महंगे हो जाएंगे।

महंगाई के लिए उत्तरदायी तत्व
पेट्रोल और डीजल की दर पिछले छह महीने में 40 फीसदी तक बढ़ गई है। इसकी तुलना में माल ढुलाई की दरों में भी 25 फीसदी तक की बढ़ोतरी है। डीजल से खेती की लागत भी बढ़ गई है। एक बीधा खेत की जुताई 35 फीसदी तक महंगी हुई है। टेम्पो और बस के भाड़े में 40 से 50 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।

विशेषज्ञ की राय
देश में महंगाई इस साल के अंत तक सताने वाली है। विशेषज्ञों की राय में महंगाई इस साल के अंत तक घटनी शुरू होगी और सब ठीक रहा तो नए साल से स्थिति बेहतर होगी क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर से मांग और आपूर्ति बड़े स्तर पर प्रभावित हुई है।

कसे जा रहे तंज
कांग्रेस पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि सरकार लोगों के घाव पर नमक छिड़क रही है। पिछले छह मौकों पर रसोई गैस की कीमतों में 240 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। उन्होंने कहा कि जब दाम बढ़ते हैं, तो 2014 के चुनाव प्रचार का नारा 'बहुत हुई महंगाई की मार' बहुत याद आता है।  इस बीच, पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने ट्वीट कहा कि मोदी सरकार है, तो मुमकिन है। सवाल भी किया है कि क्या उज्जवला योजना के लाभार्थी 834 रुपये का सिलेंडर खरीद सकते हैं।


- तरुण कुमार कंचन

अपशगुन माने जाते थे जगतगुरु रामभद्राचार्य Jagatguru Rambhadracharya was considered a bad omen

जो बालक बचपन में अपशगुन बन गया था। शादी विवाह में भी उन्हें शामिल नहीं किया जाता था। अपने लोग भी साथ नहीं ले जाते थे। आज पूरे दे...