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Tuesday 23 February 2021

पश्चिम बंगाल : रंग में है चुनावी संस्कृति

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री  ममता बनर्जी (इंटरनेट फोटो)

श्चिम बंगाल में चुनावी संस्कृति अपने रंग में है। वहां के राजनेता दो पक्षों में साफ-साफ अलग दिख रहे हैं। अभी हिसाब नहीं लगाया जा सकता है कि कौन आगे या कौन पीछे चल रहा है, मगर सच है कि राजनेताओं का खेल-तमाशा जारी है। जनता मूक दर्शक है। फिरभी पक्ष और विपक्ष के लोग मौके-बेमौके पर तालियां बजा रहे हैं।

 मजेदार होगा आगे का खेल-तमाशा

अभी चुनाव की तारीख की घोषणा नहीं हुई है। इसके बावजूद चुनाव का शोर बहुत तेज है। पश्चिम बंगाल क्या इसकी गूंज पूरी दुनिया में  सुनाई दे रही है।  आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। सड़कों पर जिंदाबाद-मुर्दाबाद हो रहे हैं। लोगों को मनाने के लिए उनपर फूल बरसाए जा रहे हैं। वहीं एक-दूसरे को सर्वनाशी और दंगाई की संज्ञा दी जा रही ही। घोटालेबाज और नशेबाज भी बताए जाने लगे हैं। तृणमूल कॉंग्रेस पर घोटाले का आरोप लगाए जा रहे हैं तो भाजपा पर मादक पदार्थों की तस्करी का आरोप लग रहा है। दोनों मामले में कार्रवाई की प्रक्रिया भी चल रही है। करोड़ों रुपये के शारदा चिट फंड मामले में सीबीआई की याचिका पर सुनवाई चल रही है जबकि कोयला चोरी केस में ममता बनर्जी की बहू रुजिरा बनर्जी से पूछताछ हो रही है। दूसरी ओर बंगाल की पुलिस ने भाजपा नेता राकेश सिंह और पामेला गोस्वामी को मादक पदार्थ तस्करी मामले में गिरफ्तार किया है। स्पष्ट है कि केंद्र की सत्ताधारी पार्टी भाजपा और पश्चिम बंगाल की सरकार की पार्टी तृणमूल कॉंग्रेस के बीच तलवारें खींच चुकी हैं। जुबानी जंग तेज हो गई है। कोई जय श्रीराम का उद्घोष कर रहा है तो कोई जय सियाराम से जवाब दे रहे हैं। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री बांगला बोलने लगे हैं तो ममता दीदी अब बंगाल की बेटी बन कर मंचों से संस्कृत स्तोत्र वाच रही हैं। खेल-तमाशा और मजेदार होनेवाला है। ऊंट किस करवट बैठेगा यह आनेवाला समय बताएगा।

गहरे सांस्कृतिक ज़ड़ों से जुड़े लोग
वर्तमान पश्चिम बंगाल की राजनीतिक सरगर्मी को समझने के लिए इतिहास के पन्नों को भी पलटना होगा। कहते हैं कि इतिहास अपने-आप को दोहराता है। मगर आगे क्या होनेवाला हम इसकी कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकते। घटनाओं की व्याख्या कर देखते हैं कि पश्चिम बंगाल कैसे करवट ले सकता है। हम सब जानते हैं कि पश्चिम बंगाल का जन्म ही धार्मिक आधार पर हुआ है। 1947 में जब भारत आजाद हुआ था तब हिंदू-बहुल पश्चिमी हिस्सा भारत के साथ रहा और मुस्लिम बहुल पूर्वी भाग पाकिस्तान के साथ चला गया।  यहीं से पश्चिम बंगाल का उदय हुआ, जो हमेशा उद्वेलित विचारों के साथ एक पारंपरिक सांस्कृतिक क्षेत्र रहा है। यहां लोग अब भी गहरे सांस्कृतिक ज़ड़ों से जुड़े रहे हैं।  

राजनीतिक उठापटक
आजादी के बाद डेढ़ दशक तक विधानचंद्र रॉय ने इस प्रदेश का नेतृत्व किया था। तब इसकी सीमाएं तय की गई। कई रियासतों का विलय किया गया और बिहार के कुछ हिस्सों को काटकर बंगाल में  मिला दिया गया। यह क्षेत्र झारखंड से जुड़ा है। इस कारण के खदानों का मुख्यालय कोलकाता में  है। उनमें  कोल इंडिया सबसे प्रमुख है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार 1954-55 में  वहां खाद्य संकट पैदा हो गया था। पश्चिम बंगाल में अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। भूख की छटपटाहट से राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता भी बढ़ने लगी। 1967 में चुनाव के बाद संयुक्त मोर्चा सरकार का गठन हुआ। इसमें  माकपा मुख्य भूमिका में  थी। इसके बावजूद पश्चिम बंगाल में  कांग्रेस के नेता अजाय मुखर्जी को सत्ता की कमान दी गई। इस बीच वहां किसानों में  असंतोष भड़क गया। नक्सलबाड़ी में  किसान विद्रोह हो गया। इसका नेतृत्व माकपा के कट्टर नेता चारू मजूमदार और कानू सान्याल ने किया था। संरचनात्मक ढांचे को भारी क्षति हुई थी। 1972 के विधानसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की जीत हुई थी। सिद्धार्थ शंकर रे राज्य के मुख्यमंत्री बनाए गए थे। रे के कार्यकाल के दौरान ही 1975 में  भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की थी। इस दौरान राज्य में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। पुलिस की नक्सलियों के साथ लगातार मुठभेड़ होती रही।  अंततः पश्चिम बंगाल की पुलिस ने नक्सली आंदोलन को कुचल दिया।

राजनीति के केंद्र में हिन्दु शरणार्थी
1971 बांग्लादेश के उदय का काल था। लोखों शरणार्थी पूर्वी बंगाल से भाग कर पश्चिम बंगाल चले आए। हालांकि उनके साथ बड़ा हादसा यह हुआ कि चेचक महामारी, भूख और कुपोषण से हजारों की जान चली गई। इसके बाद जनवरी से मई 1979 के बीच पश्चिम बंगाल में माकपा के शासन में पूर्वी पाकिस्तान से भागकर आए मारीचजंपी में शरणार्थियों के जबरन बेदखली से संबंधित जनसंहार हुआ था। बचे लोगों में हजारों ऐसे हैं जिन्हें अब तक भारत की नागरिकता नहीं मिली है। वर्तमान गृहमंत्री अमित शाह बंगाल के चुनावी सभाओं में  इसकी घोषणा बार-बार कर रहे हैं कि चुनाव बाद सीएए लागू होगा। ध्यान देने की बात यह है कि अमित शाह ने चुनाव प्रचार के दौरान एक हिन्दु शरणार्थी के घर पर खाना भी खाया था।

पश्चिम बंगाल में बड़ा बदलाव

1977 में पश्चिम बंगाल की राजनीति में बड़ा बदलाव आया। विधानसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर वाम मोर्चा की जीत हुई।  इसके बाद तीन दशक तक भाकपा (मार्क्सवादी) का परचम पश्चिम बंगाल में  लहराता रहा। पहली बार ज्योति बसु के नेतृत्व में वाममोर्चा की सरकार बनी। लगातार पांच बार मुख्यमंत्री बनने के बाद ज्योति बसु ने सक्रिय राजनीति छोड़ दी। बुद्धदेव भट्टाचार्य को पश्चिम बंगाल की कमान सौंप दी गई। 2011 तक उन्होंने सत्ता संभाली।  उनके कार्यकाल में आर्थिक सुधार के मोर्चों पर कई काम किए गए थे। औद्योगिक भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर प्रशासन के साथ कई संवेदनशील स्थानों पर जनता की झड़पें हुई थीं। उन्हीं में नंदीग्राम का मामला शामिल है।

राज्य की राजनीति में ममता बनर्जी
 पश्चिम बंगाल में वाममोर्चा सरकार के आदेश पर नंदीग्राम क्षेत्र में 10,000 एकड़ भूमि में  विशेष आर्थिक क्षेत्र बनाने की घोषणा की गई थी। इस प्रस्ताव के विरोध में आये हजारों लोगों पर सशस्त्र पुलिस ने जमकर उत्पात मचाया था। रिपोर्ट के अनुसार 4,000 से अधिक पुलिसकर्मियों को इसमें लगाया गया था।  इसमें कम से कम 14 ग्रामीणों को गोली मार दी गई। संघर्ष में 70 से अधिक लोग घायल हो गए थे। हुगली जिले के सिंगुर में टाटा नैनो कारखाने के खिलाफ हुए व्यापक आंदोलन का जिक्र करते हुए स्वयं ममता बनर्जी बताती हैं कि उनके आंदोलन के कारण सरकार ने बाध्य होकर कहा था कि किसानों की जमीन दखल नहीं की जाएगी।  इसके बाद 2011 में  ममता बनर्जी तृणमूल कांग्रेस के झंडे के साथ परिवर्तन यात्रा की थी। विधानसभा चुनाव में  वाममोर्चा को हराकर कोलकाता में  अपनी सरकार बनाई। इसके बाद पंचायत चुनाव से लेकर लोकसभा तक जबर्दस्त जीत हासिल की। अब ममता दीदी पश्चिम बंगाल की सत्ता में हैं और परिवर्तन यात्रा पर भाजपा। देखना है कि इतिहास दोहराता है या नहीं।

वर्तमान राजनीतिक रस्साकशी

पश्चिम बंगाल के आसन्न विधानसभा चुनाव की तैयारियों में सियासी पार्टियां जुटी हैं। तृणमूल कांग्रेस के सामने भाजपा सीधी टक्कर दे रही है। इसके साथ-साथ वाममोर्चा और कांग्रेस भी मैदान में है। इस बार बिहार में जीत से उत्साहित ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) भी जोर-आजमाइश करने जा रही है। दो दिन पूर्व गुजरात के निकाय चुनावों में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने अपना खाता खोला है। इससे स्पष्ट है कि मुस्लिम वोटरों में उनकी अपनी पकड़ है। पश्चिम बंगाल में 27 प्रतिशत के करीब मुस्लिम वोटर हैं। अबतक इन वोटरों पर ममता दीदी का अपना वर्चस्व था। दूसरी ओर भाजपा की सोच है कि हिन्दु वोटर गोलबंद होंगे और विपक्ष के वोटर बंट जाएंगे।  इधर, तृणमूल का आरोप है कि भाजपा उसके खिलाफ अपने तोते (सीबीआई) को छोड़ रखा है जबकि भाजपाइयों का आरोप है कि वहां उनके कार्यकर्ताओं की हत्या की जा रही है। उनके काफिले पर तृणमूल के कार्यकर्ता हमले कर रहे हैं। भाजपा नेताओं को झूठे मुकदमे में फंसाए जा रहे हैं।

पश्चिम बंगाल चुनाव में चर्चित मुद्दे
सारदा चिटफंड घोटाला  - लगभग 2500 करोड़ का घोटाला बताया जा रहा है। इसमें पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और असम के 10 लाख लोगों से ठगने का आरोप है। कंपनी ने लोगों को 30 गुणा पैसे वापस करने का लोभ देकर निवेश कराया था। इसका खुलासा 2013 में  हुआ था। इसकी जांच के लिए कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के नेतृत्व में  एसआईटी का गठन किया गया था। उनपर आरोप है कि जांच के दौरान उन्होंने साक्ष्य से छेड़छाड़ किया था। इसके बाद 2014 में  जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा गया है। अब तक इस घोटाले में 46 मामले दर्ज किए जिसमें तृणमूल कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य कुणाल घोष को भी एक आरोपी के तौर पर नामजद किया गया है।

कोयला घोटाला : पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले कोयला घोटाले के विवाद ने राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी की पत्नी रुजिरा से पूछताछ भी हुई। पश्चिम बंगाल में आसनसोल से पुरुलिया, बांकुड़ा तक और झारखंड में धनबाद से रामगढ़ तक कोल पट्टी में अवैध खनन जारी है। इस क्षेत्र में कई खदानें हैं जहां खनन कार्य बंद है लेकिन वहां माफिया अवैध खनन कार्य कर रहे हैं। उनपर सत्तारूढ़ नेताओं को रिश्वत देने का भी आरोप लगा है। 27 नवंबर 2020 को  आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। पश्चिम बंगाल में कोयला तस्करी का किंगपिन अनूप मांझी उर्फ लाला को कहा माना जा रहा है। मामले में दूसरा प्रमुख आरोपी विनय मिश्रा है। उसे अभिषेक बनर्जी का करीबी माना जाता है। गवाहों और संदिग्धों के बयानों में रुजिरा की भूमिका सामने आई है। रुजिरा की फर्म लीप्स एंड बाउंड्स प्राइवेट लिमिटेड संदेह के घेरे में है।

मादक पदार्थों की जब्ती - पश्चिम बंगाल पुलिस ने भाजपा नेता राकेश सिंह को मादक पदार्थ जब्ती मामले में संलिप्तता के आरोप में कोलकाता से करीब 130 किलोमीटर दूर पूर्व बर्दमान जिले के गलसी से मंगलवार रात को गिरफ्तार कर लिया। भाजुमो की राज्य सचिव पामेला गोस्वामी को उनके एक दोस्त और निजी सुरक्षा गार्ड के साथ 19 फरवरी को दक्षिण कोलकाता के न्यू अलीपुर इलाके से गिरफ्तार किया गया था। उनकी कार से करीब 90 ग्राम कोकीन मिली थी। गोस्वामी ने आरोप लगाया था कि यह सिंह की साजिश है। इधर खुलासा यह हुआ कि पामेला के पिता ने ही कोलकाता पुलिस को चिट्ठी लिख कर बताया था कि उनकी बेटी ड्रग एडिक्ट हो गई है।

                                              ममता बनर्जी की बहू रुजिरा
 

                                             भाजपा की युवा नेता पामेला गोस्वामी

                                                                                                                 - तरुण कुमार कंचन
 

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