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Wednesday 9 December 2020

किसान आंदोलन : केंद्र सरकार की साख दांव पर Kisan agitation: on credit attacks of central government

 


 

गृह मंत्री अमित शाह से किसान नेताओं की मुलाकात के बाद मंगलवार को एक बार लग रहा था कि अब आंदोलन का समाधान निकलने वाला है। मंगलवार की रात अमित शाह के साथ 13 किसान नेताओं ने मुलाकात की थी और तय हुआ था सरकार किसानों की मांगों पर लिखित प्रस्ताव दे।  बुधवार को केंद्र सरकार की ओर से एक दर्जन से अधिक मागों पर लिखित प्रस्ताव भेजा गया। सभी प्रस्तावों में आवश्यक बदलाव की बात कही गई। सरकार ने अपनी मंशा प्रदर्शित कर दी कि वह नए कानून में संशोधन कर सकती है। दूसरी तरफ किसान नेता इस बात पर अडिग रहे कि सरकार तीनों नए कानून को रद्द करे। इसके पहले कोई प्रस्ताव बेकार है। सरकार के प्रस्ताव को किसानों ने एकमत से खारिज कर दिया।

टकराव के मूड में किसान
 केंद्र के प्रस्तावों को खारिज करते हुए किसान नेताओं ने अपने आंदोलन को और तेज करने का मन बना लिया है।  दिल्ली सीमा पर डटे किसान संगठनों के नेताओं ने 14 दिसंबर को दिल्ली की घेराबंदी का ऐलान कर दिया। किसानों ने कहा कि देश के सभी जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन के साथ भाजपा के सांसदों और विधायकों का घेराव किया जाएगा। चिंता का विषय यह है कि किसानों ने एक कॉरपोरेट हाउस के उत्पादों का बहिष्कार करने की घोषणा की है। संयुक्त किसान मोर्चो के नेता जगबीर सिंह ने बताया कि केंद्र का प्रस्ताव गोलमोल है, इसमें कुछ भी स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द करना, एमएसपी पर नया कानून बनाना और कृषि उपज की गारंटी खरीद से नीचे कुछ भी हमें कुछ भी स्वीकार नहीं होगा। किसानों ने घोषणा की कि सरकार अगर नहीं समझती तो हम दिल्ली-जयपुर और दिल्ली आगरा एक्सप्रेस वे को बंद कर देंगे। 12 दिसंबर को एक दिन के लिए देशभर के सभी टोल प्लाजा को फ्री कर दिया जाएगा। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि उपरोक्त मांगों पर सभी किसान संगठन एक हैं। आंदोलन की आवाज को गांव-गांव में किसानों तक पहुंचाई जाएगी।
 
 केद्र सरकार के गले की फांस

केंद्र की मोदी सरकार ने वर्तमान कार्यकाल में कई बड़े फैसले लिये। इनका विरोध भी जम कर हुआ। खास कर नागरिकता कानून पर अब भी विवाद बना है। सीएए के विरोध में सबसे लंबा धरना-प्रदर्शन चला। किसी ने किसी रूप में  सब पर विजय प्राप्त कर लिया गया। लेकिन कृषि कानून सरकार के गले की फांस बन गया है। सरकार बैचेन है। कई मंत्री इस मुद्दे को सुलझाने में लगे हैं। गृहमंत्री अमित शाह को भी सरकार ने आजमा लिया। दो-दो दफे किसानों से अमित शाह ने बात की। मगर नतीजा सिफऱ रहा। कोई सुनवाई नहीं हुई। किसानों उनकी बातों को नकार दिया। बुधवार को प्रस्ताव खारिज होने और कृषि कानून को वापस करने की मांग के बाद सरकार सकते में आ गई है। ऐसा इसलिए हुआ कि मोदी सरकार के असली वोटर भी यही हैं। उनकी नाराजगी सरकार पर भारी पड़ जाएगा। उन किसानों के साथ सख्ती भी नहीं की जा सकती है।

किसानों को मनाना सबसे बड़ी चुनौती
सरकार के नुमाइंदों का कहना है कि प्रस्ताव में उन सभी शंकाओं को निर्मूल कर दिया गया था जिन पर किसानों की आपत्तियां थीं।  सरकार ने अपने लिखित प्रस्ताव में एमएसपी समेत नौ मुद्दों के समाधान का आश्वासन दिया है। यह भी कहा है कि वह खुलेमन से हर शंका पर विचार करने को तैयार है। फिरभी किसानों ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकारी मसौदे पर किसानों को सकारात्मक होकर विचार करना चाहिए। हर मसौदे पर विमर्श होना चाहिए था। बिना विचार और विमर्श किए मसौदे को खारिज कर देना अनुचित है।  य़दि किसान सकारात्मक रुख नहीं अपनाएंगे तो बातचीत का रास्ता बंद हो जाएगा।  लोकतंत्र में विरोध और विमर्श से देश आगे बढ़ता है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि फिलहाल सरकार को समझाने की कोशिश जारी रहेगी। जानकार मानते हैं कि सरकार के लिए पूरी तरह से पैर पीछे करना संभव नहीं होगा। क्योंकि ऐसा करने का मतलब है कि विपक्ष को कोई नया मुद्दा खड़ा करने का मौका देना। विपक्ष इसे और धार देने में जुट जाएगा। देश के विभिन्न इलाकों के अलावा विदेशों में भी इस कानून की चर्चा हो रही है। किसानों के समर्थन में  लोग खड़े हो रहे हैं। ऐसे में सरकार को बहुत सोच समझकर कदम उठाने पड़ेंगे।

अब देखते हैं कि सरकार के नए प्रस्ताव में क्या है
किसानों की मांगों को देखते हुए सरकार ने कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम, 2020 तथा कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम, 2020 में  बदलाव के साथ कई अन्य मुद्दों पर खुले मन से मसौदा तैयार किया ताकि अन्नदाताओं को सड़क से उठाकर खेत में पहुंचाया जा सके। मगर बात नहीं बनी।

1.  किसानों को आशंका है कि किसान कॉरपोरेट कंपनियों के चंगुल में फंस जाएंगे। मंडी समितियां खत्म हो जाएंगी। किसानों को निजी मंडियों में जाना पड़ेगा। सरकार के प्रस्ताव में कहा गया कि अधिनियम को संशोधित करके यह व्यवस्था की जाएगी कि राज्य सरकार निजी मंडियों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था लागू कर सके। किसान को नए विकल्पों के अतिरिक्त पूर्व की तरह मंडी में बेचने तथा समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीदी केंद्र पर बेचने का विकल्प यथावत रहेगा। किसान अब मंडी के बाहर किसी भंडारगृह और कोल्ड स्टोरेज से या अपने खेत से भी फसल बेच सकेगा।

2. किसानों को आशंका है कि अपनी उपज समर्थन मूल्य पर सरकारी एजेंसी के माध्यम से बेचने का विकल्प समाप्त हो जाएगा और समस्त कृषि उपज का व्यापार निजी हाथों में चला जाएगा।  प्रस्ताव में कहा गया  है कि केंद्र सरकार एमएसपी की खरीदी व्यवस्था के संबंध में लिखित आश्वासन देगी।

3. व्यापारी के पंजीकरण नहीं होने के कारण बाजार में किसानों को धोखा होने की आशंका बढ़ गई है। नए कानून में कहा गया है कि किसान को विपणन के अधिक विकल्प प्रदान करने की दृष्टि से पैन कार्ड के आधार पर व्यापारी को कृषि व्यापार करने की व्यवस्था है। नए प्रस्ताव में कहा गया कि कानून के प्रावधानों में संशोधन राज्य सरकारों को इस प्रकार के पंजीकरण के लिए नियम बनाने की शक्ति दी जा सकती है।

 4.  नए कानून में कृषि विवाद को निबटाने का अधिकार एसडीएम और डीएम को है। किसानों को भय है कि उन्हें न्याय नहीं मिलेगा। एसडीएम और डीएम वही करेंगे जो सरकार के हित में होगा। किसानों ने विवाद समाधान के लिए सिविल कोर्ट में जाने का विकल्प मांगा था। सरकार का पक्ष यह है कि त्वरित न्याय के लिए यह व्यवस्था की गई थी ताकि 30 दिन के भीतर उन्हें न्याय मिले। प्रस्ताव में कहा  गया कि शंका समाधान करते हुए अतिरिक्त सिविल कोर्ट में  जाने का विक्लप भी दिया जा सकता है।

5. आशंका जताई जा रही है कि किसानों की भूमि पर पूंजीपतियों का कब्जा हो जाएगा। किसान भूमिहीन हो जाएंगे। नए कानून में  करार खेती की व्यवस्था की गई है। नए प्रस्तावों में कहा गया है कि जब तक राज्य सरकारें रजिस्ट्रीकरण की व्यवस्था नहीं बनाती हैं तब तक सभी लिखित करारों की एक प्रतिलिपि करार पर हस्ताक्षर होने के 30 दिन के भीतर संबंधित एसडीएम कार्यालय में उपलब्ध कराने हेतु उपयुक्त व्यवस्था की जाएगी।
                                                                                                                    - तरुण कुमार कंचन

1 comment:

  1. सरकार अब क्या करेगी। इस पर आपके विचार आमंत्रित हैं।

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